इस आर्टिकल के माध्यम से आप सभी लोगों को एक ऐसी कहानी सुनाने वाले हैं जिसे सुनकर शायद आपके भी आंखों में नमी आ जाए क्योंकि आज की कहानी है रितिका के बारे में. जिन्होंने अपने जीवन में तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना लेकिन कभी भी हार नहीं मानी और अंत में उन्हें अपनी मंजिल अवश्य मिली और उन्होंने अपने सपने को साकार कर दिखाया और अपने माता-पिता का मान सम्मान और ज्यादा बढ़ा दिया। लेकिन भी सफलता की सीढ़ी तक पहुंचने से पहले उन्होंने अपने जीवन में अनेकों प्रकार के कष्टों का सामना किया है।
पिता को था कैंसर लेकिन फिर भी हार नहीं मानी
जिस वक्त रितिका अपने पेपर के लिए तैयारी कर रही थी उसी वक्त उन्होंने अपने जीवन का सबसे मुश्किल पल भी बिताया। उस वक्त उनके पिताजी को टॉंग कैंसर हो गया। रितिका के लिए यह घड़ी बहुत ही ज्यादा दुख भरी थी। लेकिन फिर भी अपने सारे दुख दर्द को अंदर समां लिया। क्योंकि उन्हें अपने साथ-साथ अपने परिवार का भी हौसला बनाए रखना चाहिए उनके परिवार की हर एक व्यक्ति की उम्मीद मनो टूट गई थी। उन्होंने उस कठिन परिस्थिति में भी हार नहीं मानी और परिश्रम करती रही , जिसका फल उन्हें कुछ समय बाद में मिला। रितिका पढ़ने लिखने में बचपन से ही काफी तेज थी और हमेशा अपनी कक्षा में अव्वल आया करती थी। वह बचपन से अपने स्कूल में अपने टीचरों की चाहती थी।
रितिका का जन्म पंजाब के मोगा में हुआ था मोगा शहर पंजाब में एक छोटा सा शहर है जहां संसाधनों की काफी कमी देखी जाती है और हर वर्ष सरकार आने को वादे करती है लेकिन वहां पर कभी भी जमीनी हकीकत नजर नहीं आती अगर हम बात करें रितिका की तो बचपन से ही वह पढ़ने लिखने में काफी तेज थी और स्कूल में हमेशा टॉप किया करती थी उन्होंने दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में एडमिशन लिया जिसके बाद उन्होंने वहां पर भी ग्रेजुएशन के वक्त टॉप किया उनका सपना था कि वह बड़े ऊपर आईएएस ऑफिसर बने और इस सपने को पूरा करने के लिए अपनी पूरी जी जान लगा दी और उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में पूरे
अपने सपने को पूरा किया और एक आईएएस ऑफिसर बन गई।