गाय की सबसे “छोटी प्रजाति” जिसके बहुत उपयोगी होती है, औषधियां भी बनती है ,नाम दर्ज है “गिनीज बुक” में भी…

भारत देश में गाय को माता का दर्जा दिया जाता है और उसका पूजन भी करा जाता है क्योंकि हमें गाय माता से इतनी सारी चीजें मिलती हैं कि उसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते क्योंकि गाय माता का लगभग हर एक चीज मनुष्य के जीवन में उपयोगी साबित होता है और अगर हम भारत के गाय की तुलना विदेशी गाय से करें तो यहां की गाय की जो देसी पर जाती है उसके दूध में इतनी ज्यादा गुणवत्ता पाई जाती है कि विदेशों में भी भारत के दूध की काफी मांग रहती है लेकिन आज हम आप सभी लोगों को एक ऐसी गाय के बारे में बताने वाले हैं जो कि कद काठी में इतनी ज्यादा छोटी है कि उसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हो चुका है और वह भारत के केरल के राज्य में रहती है और पूरे विदेश और अपने भारत देश से रोजाना हजारों लोग उसे देखने के लिए आते हैं क्योंकि वह साइज में इतनी ज्यादा छोटी है कि लोग उसे देख कर हैरान हो जाते हैं कि आखिर इतनी छोटी गाय भी हो सकती है और उसके दूध में इतनी ज्यादा गुणवत्ता पाई जाती है कि उसकी दूध की डिमांड देश विदेश में काफी ज्यादा है।

औषधियों में होता है वेचूर गाय (Vechur Cattle) के दूध का उपयोग

वेचुर गायों (Vechur Cattle) के दूध का उपयोग केरल में परंपरागत रूप से औषधियाँ बनाने में किया जाता है, क्योंकि इन गायों के दूध में औषधीय गुण पाए जाते हैं। ये गायें रोज़ाना 2 से 3 लीटर तक दूध प्रदान करती हैं। अन्य प्रजातियों (Cross Breed) नस्लों की अपेक्षा वेचूर प्रजाति की गायें बहुत कम ख़र्च में पाली जा सकती हैं, क्योंकि यह काफ़ी कम चारे में पल जाती हैं। इन गायों के दूध में वसा 4.7-5.8 प्रतिशत होती है, वसा कम होने की वज़ह से इनका दूध सुपाच्य होता है। पहले ब्यांत के समय इन गायों की आयु तीन वर्ष और inter-calving अवधि 14 माह की होती है। ये गायें छोटे कद की और कम खर्चे में पाली जा सकने की वज़ह से इसे आसानी से पाली जाती हैं लेकिन, क्योंकि यह दूध कम देती हैं अतः दूध व्यवसाय के लिए लोग इसे कम ही पालते हैं।