आजम आप सभी लोगों को एक ऐसे शख्स की कहानी सुनाने वाले हैं जिन्होंने बचपन से अनेकों प्रकार की दिक्कतों का सामना किया है और बचपन से ही खेती करते हुए बड़े हुए हैं लेकिन उन्होंने अपनी इस कमजोरी को कभी भी अपने भविष्य की मंजिल के बीच आने नहीं दिया और आज इस मुकाम पर आकर खड़े हो चुके हैं कि लाखों लोग उन्हें फॉलो करना चाहते हैं उनके जैसा बनना चाहते हैं वह लोगों के लिए रोल मॉडल बन चुके हैं और लाखों अभ्यर्थियों के लिए प्रेरणा। आज हम आप सभी लोगों को आईएएस ऑफिसर रवि कुमार के बारे में बताने वाले हैं जिन की कहानी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है लेकिन उन्होंने यह साबित कर दिया है अगर मेहनत और लगन सच्ची हो तो आप अपने जीवन में कुछ भी हासिल कर सकते हो।
रवि कुमार का कहना है कि चाहे हिंदी मीडियम हो या इंग्लिश दोनों को ही तैयारी करनी होती है
रवि कुमार का कहना है कि हमेशा से ही जो भी व्यक्ति को किसकी परीक्षा की तैयारी करता है उसे हमेशा यही चिंता लगी रहती है कि अगर वह हिंदी मीडियम से है तो उसे आने वाले समय में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है और इसी वजह से उसका आत्मविश्वास भी थोड़ा कमजोर होने लगता है जबकि आमतौर पर यह बात सही नहीं है चाहे हिंदी मीडियम इंग्लिश मीडियम उससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि मेहनत तो दोनों को ही करनी होती है और जिस की मेहनत और लगन सबसे अच्छी हुई वह हमेशा अपनी मंजिल तक अवश्य पहुंचता है वह बताते हैं कि मीडियम भी हिंदी होने के कारण उनका सोचना भी यही था लेकिन पेपर के लिए करने के बाद उनकी सोच बदल गई और उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा को कर अच्छे नंबर हासिल किए और 2018 के हिंदी माध्यम से जुड़े हुए प्रतिभागियों में से टॉपर बने।
रवि कुमार की इस प्रेरणादाई कहानी को सुनने के बाद लाखों लोगों ने उनसे प्रणाली और आज अपने जीवन में आगे बढ़ रहे हैं अपनी इस कामयाबी के बदौलत वह लाखों ऐसे नौजवानों को प्रेरित कर रहे हैं जो कि अपने आपको औरों से कमजोर समझ कर पीछे हट जाते हैं अपने जीवन में कभी प्रयास नहीं करते।