पिता साइकिल पर घूम घूम कर बेचा करते थे कपड़े लेकिन बेटे ने मेहनत कर बना IAS अधिकारी दिलाया सम्मान……………..

भारत देश में आईएएस अधिकारी बनने के लिए यूपीएससी की परीक्षा देनी पड़ती है जिसके लिए हर वर्ष करीब लाखों से भी ज्यादा व्यक्ति प्रयास करते हैं लेकिन उनमें से सफलता केवल कुछ लोगों को मिलती है इस परीक्षा को देने के लिए बच्चे अपने साल साल तक बिता देते हैं अपने सपने को हासिल करने के लिए आज हम ऐसी ही कहानी सुनाने वाले हैं बिहार के किशनगंज जिले के रहने वाले अनिल शाक्य बारे में जिनके पिता गलियों गलियों में फेरी लगाकर कपड़े बेचा करते थे और उनकी घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी।

दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद अनिल ने आईआईटी में दाखिला लिया जिसके लिए उन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ी और उनकी मेहनत और कामयाबी रंग भी लाई और उन्होंने सन् 2014 में आईआईटी दिल्ली में सिविल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया और अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाया सन 2016 में उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करनी शुरू कर दी और अपने जीवन के लक्ष्य को पाने के लिए रात दिन एक कर दिया 2018 में इंजीनियरिंग करने के बाद उनके पास जॉब का ऑफर था लेकिन उन्होंने उसे ठुकरा दिया और अपनी मेहनत को जारी रखा क्योंकि उनका लक्ष्य था कि 1 दिन यूपीएससी का पेपर क्लियर कर एक आईएएस अधिकारी बने।

लेकिन उनके बेटे ने जरा भी हार नहीं मानी और लगातार प्रयास करते रहे और अपनी पढ़ाई को कभी भी पीछे छूटने नहीं दिया अनिल गांव के ही एक सरकारी स्कूल से पढ़े थे और बचपन से युवा पढ़ने लिखने में काफी तेज थे और उन्हें को पढ़ने लिखने का काफी शौक था वह हमेशा यही चाहते थे कि वह पढ़ लिख कर इतने काबिल हो जाएगी अपने माता-पिता को गरीबी के क्षण से मुक्त करा सकें इसके लिए उन्होंने यूपीएससी को अपना हथियार बना लिया और दिन रात प्रयास करते रहे अपने सपने को पाने के लिए पहली बार में अनिल को कामयाबी नहीं मिली लेकिन उन्होंने मेहनत करने नहीं छोड़ी और अपने दूसरे प्रयास में 616 रैंक मिली और उन्होंने अपनी मंजिल पाली इसके साथ अपने माता-पिता को गौरवान्वित महसूस कराया और उन्हें एक नया जीवन दिया।