हम देख सकते हैं की कैसे पिछले साढ़े चार वर्षों के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा ग्रामीण महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के प्रयासों के परिणाम सामने आने लगे हैं, और यह सभी सकारात्मक परिणाम हैं, क्योंकि अधिक से अधिक ग्रामीण महिलाएं अब उद्यमिता की ओर बढ़ रही हैं, ओर खुद को मज़बूत बनाने में जुटी हैं।
राज्य सर्कार के स्टार्ट-अप प्रोग्राम से हो चुकी हैं 11,454 महिलाएं लाभान्वित
आपको बता दें की मिली हुई जानकारी में पता चला है की आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार स्टार्ट-अप विलेज एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम (एसवीईपी) से अब तक राज्य की 11,454 महिलाएं लाभान्वित हो चुकी हैं, ओर वे दिन रात खुद को और प्रगति की ओर ले जा रही हैं। आपको बता दें की वित्तीय वर्ष 2020-21 में कार्यक्रम के लाभार्थियों में अंबेडकर नगर के अकबरपुर प्रखंड, बस्ती के बनकटी प्रखंड, गोरखपुर के पिपराइच प्रखंड और वाराणसी के सेवापुरी प्रखंड की महिलाएं शामिल थीं| इससे पूर्व नौ जिलों के विभिन्न प्रखंडों की महिलाएं लाभान्वित हो चुकी हैं।
यह तो स्पष्ट है की उत्तर प्रदेश के गांवों में आर्थिक विकास में तेजी लाने और वहां से गरीबी और बेरोजगारी को दूर करने के लिए यूपी में महिला समूहों को मजबूत करने के लिए एसवीईपी की शुरुआत की गई थी, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा रोज़गार बड़े. लोग उससे जुड़ें और बेरोज़गारी खत्म हो|
स्टार्ट-अप प्रोग्राम कर रहा है ग्रामीण क्षेत्रों से बेरोज़गारी दूर
इन ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं अपने इलाके की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए किराना दुकान, पावरलूम यूनिट के साथ-साथ आटा और दलिया मिल स्थापित कर रही हैं। ये प्रयास आम तौर पर ग्रामीणों को पहले की तुलना में आर्थिक रूप से मजबूत और स्वतंत्र बना रहे हैं। साथ ही, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन उत्तर प्रदेश की ग्रामीण महिलाओं को लघु उद्योग शुरू करने के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
पिछले साढ़े चार वर्षों में सरकार ने राज्य के 19 जिलों के 19 ब्लॉकों में महिलाओं के कई समूहों को स्टार्ट-अप शुरू करने में मदद प्रदान की है| इसके लिए महिलाओं को 10,000 रुपये से 5 लाख रुपये तक की सहायता प्रदान की जाती है| इन उद्योगों में काम करने वाली महिलाओं और पुरुषों का अनुपात क्रमश: 60:40 है।