1965 के युद्ध का जिक्र आते ही अब्दुल हमीद की वीरता का जिक्र जरूर आता है। भारत के इस वीर सपूत ने अपनी वीरता के बल पर पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को धराशायी कर दिया था। महज 32 साल के इस युवक ने पाकिस्तान से इस जंग में कैसे तोड़ी पाकिस्तानी सेना की कमर, तस्वीरों में देखें-
1965 में जब पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण किया तो भारत के वीर सपूतों ने मोर्चा संभाला। अब्दुल हमीद को 8 सितंबर की रात पंजाब के तरनतारन जिले के खेमकरण सेक्टर में तैनात किया गया था.
इस मोर्चे पर पाकिस्तान ने अपना अजेय टैंक अमेरिकन पैटन लॉन्च किया। इन पाक टैंकों ने खेमकरण सेक्टर पर हमला किया।
देश के वीर सपूत अब्दुल हमीद ने भी भारतीय सैनिकों के साथ मोर्चा संभाला। अब्दुल हमीद के पास हौसले के अलावा कोई हथियार नहीं था।
हामिद अपनी जान की परवाह किए बिना पाकिस्तानी टैंकों के सामने खड़ा हो गया। उस समय उनके पास केवल गन माउंटेड जीप थी। उन्होंने अपने अनुभव से पाक टैंकों की कमजोरी का पता लगाया।
हामिद ने अकेले ही 7 पाकिस्तानी टैंकों को ध्वस्त कर दिया। हामिद और उसके साथियों के हौसले के आगे पाक सैनिक ज्यादा दिन टिक नहीं पाए और मजबूर होकर वापस लौट गए।
एडीजीपीआई_भारतीय सेना
वीर हामिद यहीं नहीं रुके, उन्होंने भागे हुए पाक सैनिकों का पीछा करना शुरू कर दिया। इसी दौरान उनकी जीप पर बम गिर गया। इसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया। 10 सितंबर को वह शहीद हो गए थे
सरकार ने अब्दुल हमीद की बहादुरी को सलाम किया और मरणोपरांत उन्हें महावीर चक्र और फिर सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया।
1965 के युद्ध के दौरान अब्दुल हमीद के साहसी योगदान ने मोर्चे पर भारतीय सेना के मनोबल को काफी बढ़ा दिया। हामिद की शहादत के बाद भारतीय सैनिकों ने उसकी चौकी पर मोर्चा संभाला और पाकिस्तान के और भी कई टैंकों को ध्वस्त कर दिया।