594 किमी लम्बे गंगा एक्सप्रेस-वे को मिल चुकी है केंद्र सरकार की मंज़ूरी, जल्द ही होगा बनकर तैयार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में गंगा एक्सप्रेस-वे की आधारशिला रख दी है. बता दे की इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 36,230 करोड़ रुपये लग रही है, और यह एक्सप्रेस-वे पश्चिमी और पूर्वी उत्तर प्रदेश को जोड़ेगा और राज्य को दिल्ली, हरियाणा और बिहार के करीब लाएगा। इससे लोगों को यात्रा करने में भी बहुत ही आसानी होने वाली है, और वे बहुत ही कम समय में दुरी तय कर पाएंगे. यह भी बोला जा रहा है की इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण से दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बीच का सफर करीब सात घंटे में ही पूरा कर लिया जाएगा. प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार और राज्य सरकार, दोनों ही मंजूरी दे चुके हैं, और अब यही उम्मीद की जा रही है की यह जल्द ही बनकर तैयार होगा.

बनकर तैयार होने वाला है 594 किमी लम्बा गंगा एक्सप्रेस-वे

594 किलोमीटर लंबी गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना, जिसे 26 नवंबर, 2020 को योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया था, अदानी एंटरप्राइजेज और आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स द्वारा बनाया जा रहा है। एक्सप्रेसवे मेरठ में शुरू होगा और हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली और प्रतापगढ़ सहित बारह जिलों से होकर गुजरेगा। राज्य के अन्य एक्सप्रेसवे की तरह इसमें भी विमान के आपातकालीन टेक-ऑफ और लैंडिंग के लिए एक हवाई पट्टी होगी। शाहजहांपुर में हवाई पट्टी 3.5 किलोमीटर लंबी होगी।

यात्रियों को होगी सफर करने में आसानी

हापुड़ और बुलंदशहर जिले के लोगों की सुविधा के लिए परियोजना की रूपरेखा के अनुसार गढ़मुक्तेश्वर में पुल का निर्माण किया जायेगा. इसके अलावा गंगा एक्सप्रेस-वे पर नौ जन सुविधा केंद्र, सात रेलवे ओवर ब्रिज, 14 बड़े पुल, 126 छोटे पुल और 381 अंडरपास बनाए जाएंगे. सर्विस रोड के साथ प्रवेश और निकास के लिए 17 स्थानों पर इंटरचेंज की सुविधा होगी।

यूपी सरकार के मुताबिक पिछले एक साल में एक्सप्रेस-वे के लिए इस्तेमाल होने वाली 94 फीसदी जमीन किसानों से खरीदी गई है. एक्सप्रेस-वे के लिए करीब 7,386 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है। परियोजना के लिए अब तक कुल 82,750 किसानों से जमीन खरीदी जा चुकी है। पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए, परियोजना के डिजाइन में एक्सप्रेसवे के किनारे 18,55,000 पौधे लगाना शामिल है। साथ ही यह भी पता चला है कि परियोजना के लिए अधिग्रहित जमीन पर सौर ऊर्जा से बिजली पैदा की जाएगी।