गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने कॉल सेंटर पर छापेमारी कर 32 लोगों को गिरफ्तार किया है जो मौके पर काम करते पाए गए। गिरफ्तार लोगों में दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुड़गांव में रहने वाले लोग शामिल हैं। अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में पुलिस ने एक फर्जी कॉल सेंटर से 32 लोगों को गिरफ्तार किया है, जो कथित तौर पर कंप्यूटर वायरस को ठीक करने के बहाने अमेरिकी नागरिकों को ठग रहा था।
फर्जी कॉल सेंटर गैंग गिरफ्तार, अब तक लूट चुके हैं अमेरिकी नागरिकों से लगभग 10 करोड़ रूपये
आधिकारिक अनुमानों के अनुसार, कॉल सेंटर द्वारा अमेरिकी नागरिकों से अब तक की गई अनुमानित धनराशि रूपये 10 करोड़ से अधिक है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अंकुर अग्रवाल ने बताया कि बिसरख क्षेत्र में विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) से पिछले एक साल से कॉल सेंटर चालू था। ठगी के काम के मास्टरमाइंड समेत करीब 15 से 20 और लोगों की पहचान कर ली गई है और उनकी तलाश और गिरफ्तारी की जा रही है।
कैसे फंसाते थे ये अपने झांसे में अमेरिकी नागरिकों को और करते थे ठगी
अमेरिकी नागरिकों को ठगने वाले कॉल सेंटर से कुल 32 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। आरोपी अमेरिकी नागरिकों के साथ इंटरनेट पर बातचीत करते थे और उनके कंप्यूटर सिस्टम में बग भेजते थे लेकिन यह कहकर उन्हें डराते थे कि उनके सिस्टम में वायरस है। इसके बाद आरोपी उन्हें वायरस हटाने के लिए एक समाधान बताते थे और उनसे उसकी फीस मांगते थे| इसके बाद वो आरोपी उस बग को हटाते थे|
श्री अग्रवाल ने संवाददाताओं से कहा कि आरोपी अपनी “सेवा” के बदले में 1,000 अमरीकी डालर (गुरुवार की विनिमय दर के अनुसार लगभग 74, 000) की मांग करते थे । उन्होंने कहा, “कॉल सेंटर ने हर रात 4,000 अमरीकी डालर तक का लाभ कमाता था और वे लगभग एक साल से चालू थे|धोखाधड़ी की राशि करोड़ों रुपये में है।” कॉल सेंटर पर काम करने वाले कर्मचारियों को 20,000 रूपये प्रति माह का भुगतान किया जाता था जबकि प्रबंधक को 1.25 लाख रूपये से 1.50 लाख रूपये मासिक मिलता था।
पुलिस ने कहा कि बिसरख पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 406 (आपराधिक विश्वासघात) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने कॉल सेंटर से 50 कंप्यूटर और संबंधित उपकरण जब्त किए हैं, जहां लोगों ने रात भर काम किया ताकि अमेरिका में सामान्य काम के घंटों का मिलान किया जा सके।