गाजियाबाद से कानपुर तक बनने वाले ग्रीनफील्ड कॉरिडोर को केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है। गाजियाबाद-कानपुर ग्रीनफील्ड कॉरिडोर की लंबाई 380 किलोमीटर होगी। इसके साल 2025 तक पूरा हो जाने की संभावना है। इसके बनने के बाद यमुना एक्सप्रेसवे पर वाहनों का दबाव कम हो जाएगा।लखनऊ, कानपुर, से होकर पूर्वी यूपी जाने वाली गाड़ियां अभी यमुना एक्सप्रेसवे होकर जाती हैं। इसके अलावा पश्चिमी यूपी के भी वाहन गाजियाबाद, नोएडा से होकर गुजरते हैं। गाजियाबाद-कानपुर ग्रीनफील्ड कॉरिडोर बनने के बाद ये सभी सीधे कानपुर जा सकेंगे और वहां से लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे का इस्तेमाल करके लखनऊ आ सकेंगे।
कब तक बनकर तैयार होगा यह एक्सप्रेसवे?
380 किमी लंबे इस कॉरिडोर के लिए जमीन का अधिग्रहण आठ लेन के एक्सप्रेसवे की जरूरत के मुताबिक किया जाएगा। हालांकि, शुरुआत में सिर्फ चार लेन की सड़क बनेंगी। लेकिन अंडरपास, फ्लाईओवर और सर्विस रोड का निर्माण छह लेन के ग्रीनफील्ड कॉरिडोर के मुताबिक होगा। यह कॉरिडोर लखनऊ से कानपुर के बीच बन रहे एक्सप्रेसवे को उन्नाव और कानपुर के बीच में जोड़ेगा। दूसरी तरफ, गाजियाबाद और हापुड़ में मौजूदा मेरठ एक्सप्रेस वे को कनेक्ट करेगा।
कितना समय बचाने वाला है यह एक्सप्रेस?
जनवरी 2022 में लखनऊ-कानपुर ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का शिलान्यास किया गया था। इसके बनने से लखनऊ से कानपुर के बीच का सफर महज 30 मिनट को रह जाएगा। अभी यह दूरी तय करने में करीब डेढ़ से दो घंटे लगते हैं। जनवरी में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सीएम योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में हुए कार्यक्रम में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कई परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया था। लखनऊ-कानपुर ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे भी इनमें शामिल था।अगले 350 दिनों में डीपीआर तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। उसके बाद प्रोजेक्ट की मंजूरी लेकर जमीन अधिग्रहण का काम शुरू किया जाएगा। यह काम दिसंबर 2023 तक पूरा होगा और उसके बाद 24 महीने में प्रोजेक्ट बनकर तैयार हो जाएगा। एनएचएआई ने डीपीआर के लिए सलाहकार फर्म नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।