आजकल अमूमन यही देखा जा रहा है, कि वही स्टार्टअप ज्यादा सक्सेसफुल हो रहे हैं। जिनमें आम रोजमर्रा के जीवन की कुछ काम को आसान करने की क्षमता हो या फिर कुछ यूनिक आईडिया हो। लेकिन इसे केवल विचारों तक सीमित नहीं रखना चाहिए। बल्कि जमीन पर इसे सफलतापूर्वक लागू करना चाहिए। जो भी व्यक्ति इसे सफलतापूर्वक जमीन पर लागू करने में सक्षम रहता है। उसका बिजनेस दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की करता है ,क्योंकि हकीकत और ख्वाब दोनों में काफी ज्यादा अंतर होता है।

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कुछ ऐसा ही कर दिखाया है अदिति भोसले-वालुंज और चेतन वालुंज ने ,जिस वक्त अदिति फॉरेंसिक और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर रही थी। उसी वक्त चेतन ने 2015 में शादी करने से पहले अपने परिवार के पेट्रोल पंप को चलाया। अधिकांश विवाहित जोड़े के विपरीत अदिति और चेतन ने अपनी उद्यमशीलता को प्राथमिकता दी और अन्य मूर्तियों पर समझदारी करने का फैसला किया।

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दोनों के ही मन में चाहत थी , कि अपने कुछ यूनीक आइडिया से अपना कुछ अलग किया जाए। अथक प्रयास के बाद उन्हें एक क्रांतिकारी विचार आया जिसके शिकार करने के लिए उन्होंने भर तक प्रयास करें उन्होंने डैड माइलेज की एक उपेक्षित समस्या को हल करने का प्लान बनाया यह ध्यान देने योग्य है। कि वाणिज्य वाहन ईंधन स्टेशन पर और पीछे इंदन भरने के लिए अनावश्यक ईंधन का उपयोग करते हैं। ईंधन के उपयोग से काफी ज्यादा प्रदूषण भी देखा जाता है ,जिसकी वजह से क्या-क्या समस्याएं उत्पन्न हो सकते हैं। इसके बारे में तो आप सभी लोगों को अवश्य ही पता होगा।

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अभी कुछ ही दिनों पहले अदिति ने एक इंटरव्यू के दौरान भी बताया था ,कि हर दिन भारत के 27 करोड़ लीटर डीजल की खपत करते हैं और हम डैड माइलेज में अपने डीजल का 5 से 10 परसेंट खपत कर रहे हैं। जो कि काफी गौर करने वाली बात है। अगर हम इस समस्या के ऊपर ध्यान देंगे तो आने वाले समय में हम प्रदूषण में काफी कटौती ला सकते हैं।