हर साल लाखों अभ्यर्थी देश की सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी की तैयारी करते हैं । संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विसेज परीक्षा देते है लेकिन इस परीक्षा को पास कर चुनिंदा अभ्यर्थी ही सफलता हासिल कर पाते हैं और आईएएस अधिकारी बन पाते हैं। आज हम आपको जिस आईएएस अधिकारी के बारे में बताने जा रहे हैं उनका नाम सत्यम गांधी है जिन्होंने अपने पहले प्रयास में ही ना सिर्फ सफलता हासिल की ब्लकि अच्छी खासी रैंक हासिल कर पूरे देश में अपना नाम रोशन कर दिया।
कैसा रहा सत्यम का मुश्किलों भरा सफर ?
सत्यम गांधी समस्तीपुर के दिघरा गांव के रहने वाले है। वो एक मिडिल क्लास परिवार से ताल्लुक रखते हैं । सत्यम के पिता सरकारी विभाग में काम करते हैं और मां घर की जिम्मेदारियां संभालती हैं । अपने सफर के बारे में बात करते हुए सत्यम ने बताया कि उनके मम्मी-पापा ने उनके लिए बहुत त्याग किए है। पढ़ाई के लिए उनके पापा ने बैंक से लोन लेकर उनकी पढ़ाई पूरी करवाई थी । सत्यम ने बताया कि उनका फाइनेंसियल स्ट्रगल काफी कठीन था। अपने खर्च पूरे करने के लिए उन्होंने कॉलेज के दूसरे साल से ही काम करना शुरू कर दिया था। साल 2017 में इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया । सत्यम ने दिल्ली आकर अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की । पढ़ाई में अच्छा होने के कारण उन्होंने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में जहां अच्छे अंक हासिल किए । वहीं, ग्रेजुएशन की पढ़ाई में भी उन्होंने टॉप किया था । कॉलेज के तीसरे साल ही उन्होंने अपना लक्ष्य तय कर लिया था कि उन्हें यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करनी है । इस कड़ी में उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शूरू कर दी।
कहा से मिली प्रेरणा?
सत्यम ने एक साक्षात्कार में बताया था कि उनकी यूपीएससी की पढ़ाई के लिए प्रेरणा अपने माता पिता से मिला । बचपन से ही माता पिता के संघर्षों को देखकर उन्होंने ठान लिया था कि उन्हें बड़ा होकर एक आईएएस अधिकारी बनना है । वो कहते हैं कि उनके परिवार के लोग भी चाहते थे कि सत्यम जिलाधिकारी बनकर लोगों की सेवा करें और अपने परिवार का नाम रोशन करें । यही वजह थी कि उन्होंने कड़ी मेहनत से यूपीएससी की तैयारी की । सत्यम बताते हैं कि उन्होंने तय कर लिया था कि वह पहले ही अटेम्पट में इसे पास करेंगे। इसके लिए उन्होंने हर रोज करीब 7-8 घंटे पढ़ाई की, और जब भी कन्फ्यूजन होता था तो वो इंटरनेट का सहारा लेते थे। उनका मानना है कि व्यक्ति का बैकग्राउंड या फिर पढ़ाई का मीडियम यूपीएससी में कुछ मायने नहीं रखता आयोग की ओर से हमेशा बेस्ट को ही चुना जाता है।