वैसे तो हमारे देश में महिला सशक्तीकरण को लेकर तमाम प्रदर्शन होते हैं, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे लगाए जाते हैं, लेकिन आज भी इसी समाज में ऐसे लोग भी हैं, जो बेटी के जन्म पर दुःख ज़ाहिर करते हैं, और अपनी बहुओं को प्रताड़ित करते हैं| कहते हैं बच्चे भगवान् का रूप होते हैं, लेकिन आज भी ऐसे लोग हैं जो बेटा बेटी में फर्क करते हैं|
बेटी के जन्म पर निकाला जिस बहु को घर से, अब वही बहु देगी जज बनकर पीड़ितों को न्याय
आज हम आपको ऐसी महिला की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने अपनी बेटी के जन्म के बाद अपने ससुरालवालों से बहुत प्रताड़ना सही, यहां तक की उसे घर से भी निकाल दिया गया| पर इस सब से वह हारी नहीं, बल्कि फिर अपने पैरों में खड़ी हुई, और आज जज के पद पर नियुक्त होकर वह कई सारे पीड़ित लोगों को न्याय दिलाती हैं, आइये जानते हैं उनकी कहानी|
वंदना ने नहीं मानी हार, और जज के पद पर नियुक्त होने के बाद बन गयी सबके लिए उदाहरण
हम बात कर रहे हैं पटना के छज्जूबाग की 34 वर्षीय वंदना मधुकर की, जिनको उनके ससुरालवाले पहले तो सांवले रंग की वजह से ताना मारा करते थे, और बाद में जब बेटी का जन्म हुआ, तो उन्होंने वंदना को घर से निकाल दिया| वह पेशे से पहले एक शिक्षक थीं, और बाद में आकाशवाणी में ट्रांसमिशन एक्जक्यूटिव पद संभाला| उनके ससुराल वाले चाहते थे की वह जो भी कमाती हैं, सारा पैसा लेकर उनके हाथ में रख दें|
पहली बेटी के जन्म पर इतने ताने मिले की उन्हें घर छोड़ना पड़ा| लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और नौकरी के साथ अपनी उच्चतर शिक्षा जारी रखी और स्टेट ज्यूडिशियरी की परीक्षा पास कर जज बन गई| आज अपने संकल्प और आत्म विश्वास के दम पर वंदना सबके लिए एक उदाहरण बन गयी| वंदना अपनी कामयाबी का श्रेय अपने पिता किशोरी प्रसाद और मां उमा प्रसाद को देती है। वंदना कहती हैं की अब वह पूरी ईमानदारी के साथ अपना पद संभालेंगी, और सभी पीड़ितों को उचित न्याय देंगी|