आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी गरीबी को कभी अपने सपनों के आड़े नहीं आने दिया| एक समय था जब पिता की तबियत खराब होने पर इनके पास दवाई लाने के तक पैसे नहीं थे, तो इन्होने रिक्शा चलाकर पैसे जमा किये और अपने पिता की दवाइयों और घर खर्चे का इंतज़ाम किया| इन्होने अपने रिक्शा चलाने की बात किसी से नहीं कही, और शाम को चुपचाप मुँह पर कपड़ा बांधकर रिक्शा चालक का काम शुरू कर परिवार का खर्चा उठाया| जिन शख्श की हम बात कर रहे हैं वे हैं हरिकिशन पिप्पल, आइये जानते हैं इनके संघर्ष से कामयाबी तक की कहानी|
कभी पिता की दवाई का खर्चा उठाने के लिए चलाया था रिक्शा, आज हैं अरबों की सम्पत्ति के मालिक, जानें पूरी कहानी
हरिकिशन के पिता का जूतों का व्यापर था| जब वे दसवीं कक्षा में थे, तो उनके पिता की तबयत अचानक बिगड़ गयी, जिसके बाद परिवार को चलाने की सारी ज़िम्मेदारी हरिकिशन के कन्धों पर आ गयी, यह ज़िम्मेदारी निभाने के लिए हरिकिशन ने रिक्शा भी चलाया| फिर उनकी पत्नी ने उन्हें सलाह दी की वे पुश्तैनी व्यवसाय फिर से शुरू करें|
उन्होंने व्यवसाय शुरू करने के लिए बैंक में लोन के लिए अप्लाई किया, लेकिन घरेलु परिस्तिथियों की वजाह से उन्हें लगा की लोन का सारा पैसा इन्ही में खर्च हो जाएगा, इसीलिए उन्होंने घर छोड़ दिया और किराये के घर से व्यावसाय शुरू किया| इसके बाद उन्हें एक सरकारी दफ्तर से दस हज़ार जूते बनाने का अवसर मिला, जिससे उनका ब्रांड बहुत मशहूर हो गया|
आयी बहुत सी बाधाएं, लेकिन सबका किया डटकर सामना और आज बन चुके हैं करोड़ों के मालिक
आज,हरिकिशन पिप्पल एक सफल व्यवसायी हैं, जिनका 100 करोड़ से अधिक का वार्षिक कारोबार है, जो फुटवियर, अस्पताल, रेस्टोरेंट, बैंक्वेट हॉल, वाहन डीलरशिप, प्रकाशन और कई अन्य क्षेत्रों में व्यावसायिक हितों के साथ हैं। हरिकिशन ने इस व्यवसाय को एक मुकाम देने के लिए बहुत मेहनत की| व्यवसाय में एक बाद एक चुनौतियां आयी, लेकिन उन्होंने हमेशा इन चीज़ों का डट कर सामना किया|
हालांकि वे राजनीतिक क्षेत्र में कोई सफलता हासिल नहीं कर सके, लेकिन वे असफलता से परेशान नहीं हैं क्योंकि उनका मानना है कि असफलता ही सफलता की सीढ़ी है। “अगर हम कुछ ठोस हासिल करना चाहते हैं तो हमें पहले प्रयास में हार नहीं माननी चाहिए”, वे कहते हैं|