जानिए कैसे पुणे के एक गांव में हेलीकॉप्टर से करवाया एक पिता ने अपनी बेटी का स्वागत!

भारत में कई जगह यह सच है कि बेटियां बहुत होती है और बेटों से ही घर आगे चल सकता है पर यह रूढ़िवादी सोच को लोग पीछे छोड़ने जा रहे हैं और आगे की तरफ बढ़ते जा रहे हैं प्रगति करते जा रहे हैं प्रगति करने के साथ-साथ वह अपनी सोच भी बदल रहे और सोच के बदलने के साथ-साथ अब आप देख सकते हैं कि कितनी बेटियां लड़कियां आगे बढ़ रही है चित्र में अपना परचम लहरा रही है और अपने माता-पिता का नाम रोशन कर रही है ।

अपनी बेटी का खास स्वागत कराने की असली वजह क्या थी?

आपको बता दें कि इसी प्रकार हाल ही में होने के गांव में भी हुआ है जहां पर विशाल झारे कर और उनके परिवार में अपने पूरे गांव में एक मिसाल कायम कर दी है किस प्रकार बेटी के होने पर उसका किस तरह से स्वागत किया जा सकता है आपको बता दें विशाल सारे कल जब बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि उनके घर में काफी अरसे से कोई बेटी ने जन्म नहीं लिया आखिरकार अब उनके घर में लक्ष्मी आई है उन्होंने अपनी बेटी का नाम भी राजलक्ष्मी रखा है उन्होंने बताया कि जब उनकी बेटी ने जन्म लिया यानी कि 22 जनवरी को वह अपने ननिहाल गांव गांव में हुई थी जन्म के बाद 2 अप्रैल को पहली बार अपने घर पुणे आई थी पुणे में शीलगांव गांव में आ रही थी इसीलिए उनके पिता ने सोचा जब उनकी बेटी अपने घर आ रही है तो उसका कोई साधारण सा स्वागत नहीं होगी धूमधाम से ही स्वागत होना चाहिए इसीलिए उन्होंने अपनी बेटी के धूमधाम से स्वागत के लिए इस जॉब को कराया यानी कि हेलीकॉप्टर आपको बता दें कि हेलीकॉप्टर बिल्कुल भी नहीं होती है कम से कम ₹100000 का हेलीकॉप्टर होता है उन्होंने अपनी बेटी के स्वागत में एक लाख का हेलीकॉप्टर आया और अपनी पत्नी अपनी बेटी को उसी हेलीकॉप्टर से यानी कि पता चला कि जब वह अपने घर पहुंचे तो फिर उनकी बेटी का स्वागत कोई साधारण तरीके से गुलाब के फूल स्वागत किया ।

किस प्रकार बेटी का स्वागत करवाया?

लोगों ने गुलाब की पंखुड़ियां बच्ची और उसके माता-पिता के फोटो शुरू करें और यहां तक की घर के द्वार से लेकर उनके कमरे तक थी जिस प्रकार कार्य को पूछा जाता है उसी प्रकार गुलाब की पंखुड़ियों सजाई गई थी ताकि अच्छे से स्वागत हो सके बिल्कुल वासियों की तरह शाम नहीं होगी बताया कि वह अपने आप को भाग्यशाली मानते हैं या फिर उनके घर में पागल हो गया है अपने गांव वालों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश भर के लिए प्रेरणा का उदाहरण है की बेटियां बोझ नही सिर का ताज होती है ।