उत्तर प्रदेश : नहीं दे सकता हूँ माँ का प्यार, कोई मेरे बच्चों को ले लो

खबर उत्तर प्रदेश के बरेली डिस्ट्रिक्ट है जहां एक माँ अपनी नौ महीने की बच्ची और तीन साल के बेटे को उनके पिता के सहारे छोड़कर चली गयी है| मां तो चुपचाप उन मासूम बच्चों को छोड़कर चलती बनी, बिना उनकी परवाह करे लेकिन अब बच्चों के पिता को यह बिलकुल समझ नहीं आ रहा की वह घर पर रुक कर बच्चों का ध्यान रखे या फिर दो वक़्त की रोटी के लिए पैसे जुटाने के लिए काम पर जाए|

माँ बच्चों को छोड़कर चलती बनी, तो पिता अकेले नहीं संभाल पा रहा ज़िम्मेदारी, मांग रहा है मदद की कोई मेरे बच्चों को ले लो

इस सब के होने के बाद बच्चों का पिता बहुत परेशान है, बच्चों को पलना एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी का काम है और उनकी माँ उनके बारे में सोचे बिना उन्हें छोड़कर चली गयी| काफी दिनों तक उलझन में फंसे रहने के बाद बच्चों के पिता गुरुवार को बरेली में दरगाह आला हजरत पहुंचे और उन्होंने यह कहते हुए मदद मांगी कि वह अपने बच्चों को मां का प्यार नहीं दे पा रहा है और अकेले उनकी देखभाल भी नहीं कर पा रहा है, उनकी माँ तो चली गयी है पर अब वह यह नहीं समझ पा रहा है की कैसे उनकी परवरिश करे और दो वक़्त की रोटी के पैसे जुटाए| इसीलिए वह यह गुहार लगा रहा है की कोई उसके बच्चों को ले ले|

दरगाह पर गुरुवार को जमात रजा मुस्तफा की ओर से जनता दरबार लगता है। फतेहगंज पश्चिमी के माधौपुर माफी गांव का अब्दुल्ला और उन बच्चों का पिता उस जनता दरबार में पहुंचा। उसने दरबार में बताया कि वह फल का ठेला लगाता है। उसकी पत्नी और बच्चों की माँ मुरदाना करीब महीने भर पहले चुपचाप दोनों बच्चों को उसके भरोसे छोड़कर चली गई। और अब वह यह ज़िम्मेदारी अकेले नहीं उठा पा रहा है और चाहकर भी उनके लिए मां की कमी पूरी नहीं कर पा रहा है। अब्दुल्ला ने पत्नी को ढूंढने के लिए पुलिस से मदद मांगी लेकिन वह भी मदद नहीं कर पाए| अब हालातों से हारकर उसका कहना है की उसके बच्चों को किसी ऐसी संस्था या व्यक्ति को दिला दिया जाए जो उनकी देखभाल कर सके।

अब्दुल्ला ने बताया – खुद भूखा रहकर भरता हूं बच्चों का पेट

अब्दुल्ला ने बताया कि बच्चों की देखभाल कौन करेगा इस वजह से वह काम पर नहीं जा पा रहा है, कुछ भी करके वह बच्चों के लिए दूध का इंतज़ाम करता है और खुद भूखा रहता है| बच्चे घर में अकेले रहे जायेंगे इस वजह से वह काम पर भी नहीं जा पा रहा है जिस कारण उसके घर में खाने के लाले पड़ गए हैं|

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