पारम्परिक खेती छोड़ शुरू की ड्रैगन फ्रूट की खेती, आज कमा रहे हैं इतना – पढ़ें पूरी खबर

आज की खबर है गुजरात के भावनगर के रहने वाले रमेश मकवाना के बारे में, जिन्होंने दो साल पहले पारंपरिक खेती छोड़कर ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की थी, और आज वे उससे एक सफल व्यवसाय चला रहे हैं| ड्रैगन फ्रूट जैसा की आप जानते ही हैं की एक मेडिसिनल प्लांट है | और यह इम्युनिटी बूस्टर का भी काम करता है| और कोविड संक्रमण के बाद बहुत से लोग इस व्यवसाय में अपना हाथ आज़मा रहे हैं| आज की खबर में हम जानेंगे कैसे रमेश मकवाला ने यह बिज़नेस शुरू किया और आज कितना मुनाफा कमा रहे हैं |

पारम्परिक खेती छोड़ शुरू की ड्रैगन फ्रूट की खेती, आज रमेश मकवाला कर रहे हैं एक सफल बिज़नेस

रमेश मकवाला करीब 2.5 एकड़ जमीन पर ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं और उनके पास तीन तरह की वैरायटी हैं और इसकी सप्लाई वे देशभर में कर रहे हैं और इससे वह हर सीजन में 3.5 लाख रूपये का मुनाफा कमा रहे हैं | वैसे तो माना जाता है की द्रोण फ्रूट भारत में नहीं उगता और इसे बहार के देशों जैसे अमेरिका, वियतनाम, थाईलैंड से लाया जाता है, पर पिछले कुछ वर्षों में भारत में ड्रैगन फ्रूट का एक बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन शुरू हो गया है और गुजरात तो इसका हब ही बन चुका है और वहां इसे कमलम नाम से बुलाया जाता है|

कहाँ से मिला रमेश को ड्रैगन फ्रूट उगने का आईडिया ?

क्योंकि रमेश पारम्परिक खेती करते थे तो उससे उन्हें ज़्यादा मुनाफा नहीं हो रहा था, वे मुश्किल से ही परिवार का खर्च चला पाते थे| दो साल पहले जब उन्हें सोशल मीडिया से ड्रैगन फ्रूट का पता चला तो उन्होंने इसकी खेती में इच्छा जताई और इसके बारे में और अधिक जानकारी निकालने लगे| फिर उन्हें जब पता चला की जामनगर में इसकी अच्छी खेती होती है तो वो वहां गए और वहां के किसने से मिलकर पूरा प्रोसेस समझा| फिर वे वहां से 48 रूपये प्रति पौधा के हिसाब से 700 पौधे ले आये|

रमेश बताते हैं की उनके पास करीब 6 एकड़ ज़मीन थी पर इसमें से उन्होंने 2.5 एकड़ ज़मीन पर खेती शुरू की, क्योंकि उनके मन में एक डर भी था की अगर फसल ख़राब हो गयी तो ज़मीन को काफी नुक्सान हो जायेगा, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ और पहले ही साल काफी अच्छी फसल हुई| हालाँकि करीब 15 महीने बाद उससे फ्रूट निकला लेकिन उसे उन्होंने बहुत अच्छे दाम में बेचा और 3.5 लाख रूपये का मुनाफा कमाया|