भारत की यह महिला पायलट प्लेन को लेकर खतरों के दरकिनार कर चीन पहुंची जाने पूरी घटना

जब खतरों को दरकिनार कर भारत की ये महिला पायलट प्लेन लेकर चीन पहुंच गई, जानें पूरी घटना आज की भारत की महिला हर क्षेत्र में आगे बढ़ चुकी है भारत की महिलाएं आज वो मुकाम हासिल कर रही हैं जिसको पाना आसान नहीं होता है। बात डेढ़ साल पहले की है। जब यह महिला पायलट खतरों को पार कर प्लेन लेकर चीन पहुंच गई थी, और वहां फंसे भारतीय लोगों को सुरक्षित लेकर वापस भारत आ गई थी।

बंदे भारत मिशन में शामिल थीं ये पायलट

कोविड-19 में कोरोना के शुरुआती दौर में विदेश में लाखों भारतीय फंसे हुए थे। उस समय मई 2020 में वंदे भारत मिशन के तहत विदेशों में फंसे लाखों भारतीयों को वापस प्लेन से इंडिया लाने का मिशन शुरू हुआ था। जब बहुत से लोग इस मिशन से जुड़ने में हिचकिचाहट महसूस कर रहे थे तब इस महिला पायलट ने हौसला दिखाते हुए वंदे भारत मिशन के लिए अपनी इक्छा से काम किया था।

पायलट बनने का सपना 8 साल की उम्र में देखा

इन्होंने विदेशों में फंसे भारतीयों को बचाने के लिए कोरोना महामारी के पीक के दौरान एक महीने में तीन उड़ानें भरी थीं। इस जांबाज महिला पायलट ने बचपन से ही पायलट बनने का सपना देख लिया था। इन महिला पायलट का नाम है-लक्ष्मी जोशी। हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान लक्ष्मी जोशी ने बताया जब बचपन में वे 8 साल की थीं, तब एक बार हवाई जहाज में बैठी थीं, बस उस दिन से ही उन्होंने ठान लिया था, कि वे पायलट ही बनेंगी। जैसे-जैसे वे बड़ी हुई उन्होंने पायलट बनने के लिए कड़ी मेहनत की और अपना सपना पायलट बनकर पूरा किया।

पिता ने दिया अपनी बेटी का साथ

लक्ष्मी जोशी के पिता ने उनका सपना पूरा करने में दिया साथ और उनके लिए कोई कमी नहीं की इस वजह से उसने खूब मेहनत की। लक्ष्मी ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि उनकी ट्रेनिंग के लिए उनके पिताजी ने लोन लिया था, ताकि उनकी बेटी अपना सपना पूरा कर सके। 2 साल की कड़ी मेहनत के बाद उन्हें पायलट का लाइसेंस मिला था और उस समय वे बहुत खुश थी। इसके बाद उन्हें एयर इंडिया में नौकरी मिली। उसका पायलट बनने का सपना पूरा हुआ।

 

मिशन को लेकर चिंतित थे माता-पिता

कोरोना के चलते मेरे घर वालो को भी मेरी चिंता होती थी हम लोगों ने वायरस से बचाने वाला सूट पहन कर प्लेन उड़ाया था। जिसे सभी सुरक्षित रहते है और अब मुझे वो पल भी याद है जब फ्लाइट ने इंडिया में लैंड किया था,

 

 

 

तो सभी यात्रियों ने खड़े होकर हमारा शुक्रिया अदा किया था, और उनमें से एक बच्ची ने आकर कहा था कि ‘मैं भी आपकी तरह बनना चाहती हूं’। मुझे बहुत गर्व होता है की मुझे देखकर कोई इंस्पायर हो रहे है