अपने सपने को पूरा करने के लिए खुद को “6 महीने तक कर लिया था कैद” लेकिन पूरा किया IAS ऑफिसर बनने का सपना

यूपीएससी भारत देश की सबसे कठिन परीक्षा में से एक है और इसे पास करने के लिए लोग अपना जीवन तक दांव पर लगा देते हैं. लेकिन आज हम आप सभी लोगों को एक ऐसी युवती की कहानी सुनाने वाले हैं। जिन्होंने अपने आईएएस ऑफिसर बनने के सपने को पूरा करने के लिए काफी दिक्कतों का सामना किया और अंत में अपने सपने को हासिल किया। लेकिन उनके मंजिल तक का रास्ता इतना भी आसान नहीं था उन्हें अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए अनेकों प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

कड़ी मेहनत करें यूपीएससी में हासिल कर ली थी 83 वि रैंक
कड़ी मेहनत करें यूपीएससी में हासिल कर ली थी 83 वि रैंक

आज हम आप सभी लोगों को आईएएस निधि सिवाच के बारे में बताने वाले हैं। जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन के दम पर अपनी मंजिल को हासिल किया। निधि अपने माता-पिता की इकलौती संतान है और उन्होंने अपनी बचपन की पढ़ई अपने गांव से पूरी करी और इंटरमीडिएट के बाद मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करें। जिसके बाद उन्होंने करीब 2 साल तक हैदराबाद की एक बड़ी टेलीकॉम कंपनी में काम किया उसके बाद उनका मन उसमें नहीं लगा। इसके लिए उन्होंने उसे छोड़ने का फैसला किया और आईएएस ऑफिसर बनने के सपने को पूरा करने के लिए upsc की तैयारी शुरू कर दी।

कड़ी मेहनत करें यूपीएससी में हासिल कर ली थी 83 वि रैंक
कड़ी मेहनत करें यूपीएससी में हासिल कर ली थी 83 वि रैंक

अकेले 6 महीने तक थी घर से बाहर

अकेले 6 महीने तक थी घर से बाहर
अकेले 6 महीने तक थी घर से बाहर

जब निधि ने अपनी प्राइवेट नौकरी छोड़कर सरकारी नौकरी के लिए तैयारी करनी शुरू कर दी थी तो उन्होंने घर पर दिन रात मेहनत करें और निधि बुझा पता था कि अगर वह इस बार सफल नहीं होती है तो उनका सपना चकनाचूर हो जाएगा इसीलिए वह इस बार किसी भी हाल में सफल होना चाहती थी इसीलिए उन्होंने खूब मेहनत और लगन से पढ़ाई करी और उनकी मेहनत और लगन का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि तैयारी के दौरान वह अपने घर से कुल 6 माह तक अपने घर से दूर रही थी और अपने परिवार वालों से भी दूर थी निधि ने बताया कि उन्होंने अपने घर का मेन गेट 6 मा भाग परीक्षा में सफल होने के बाद ही देखा था

अकेले 6 महीने तक थी घर से बाहर
अकेले 6 महीने तक थी घर से बाहर

कड़ी मेहनत करें यूपीएससी में हासिल कर ली थी 83 वि रैंक

जब उन्होंने लगातार छह माह तक जबरदस्त मेहनत और मशक्कत करी तो उन्हें उसका परिणाम भी मिला उनकी मंजिल के रूप में और उन्होंने सन 2008 में अपने तीसरे प्रयास में 83 वि रैंक लाकर अपने माता-पिता का नाम गर्व से ऊंचा कर दिया और उन सभी के साथ-साथ अपने सपने को भी सरकार किया निधि की यह सफलता उन सभी नौजवानों के लिए प्रेरणा है जो किसी कारण से कोचिंग जाने में असमर्थ रहते हैं और अपने आप को और परीक्षार्थियों से कमजोर समझते हैं उन्होंने इस बात को सच कर दिखाया कि बिना किसी कोचिंग के आप यूपीएससी का पेपर क्लियर कर सकते हो और अच्छी रैंक भी ला सकते हो बस उनका कहना है कि आपको पढ़ाई के दौरान खुद पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना होगा और अपने ध्यान को भटकने नहीं देना होगा केवल और केवल अपने पढ़ाई पर पूरा ध्यान लगाना होगा।