जानकारी के हिसाब से जिन ठेले वालों पर हम दया भावना दिखाते हैं, और सोचते हैं की ये दिन रात चाट, समोसे और पान का ठेला लगाकर अपने घर का पेट पाल रहे हैं और उनके लिए दो वक़्त की रोटी जुटा पा रहे हैं, दरअसल उनकी असलियत कुछ और ही निकली| बिग डेटा सॉफ्टवेयर, आयकर विभाग और जीएसटी रजिस्ट्रेशन की जांच हुई तो सामने आया की जिनपर हम गरीब समझकर दया कर रहे हैं, वे दरअसल करोड़ों के मालिक हैं, और आलीशान की ज़िन्दगी बसर कर रहे हैं|
दुनिया को दिखाने के लिए हैं ठेलेवाले, जाँच हुई तो निकले करोड़ों की संपत्ति के मालिक
शायद एक बारी को आपके पास कोई सुख सुविधा का सामान न हो, लेकिन इनके पास मेहेंगी गाड़ियां, ज़मीनें, दौलत सब है| सिर्फ इसलिए की इनको इनकम टैक्स ना भरना पड़े, ये खुद को गरीब दिखाते हैं और ठेला लगते हैं| उत्तर प्रदेश के कानपूर डिस्ट्रिक्ट में ऐसे 256 ठेले वाले निकले | न तो आयकर के नाम पर ये एक पैसा टैक्स देते हैं और न ही जीएसटी।
आयकर विभाग काफी लम्बे समय से इन खूफिया करोड़पतियों की तलाश में लगा था| अत्याधुनिक टेक्नोलाजी ने आयकर विभाग की इसमें बहुत मदद की| कुछ खुफिया करोड़पतियों का पर्दा फाश हो चूका है, बाकि की तालाश में आयकर विभाग लगातार जुटा है, और बहुत ही जल्दी और नाम भी सामने आएंगे |
टैक्स भरने के पैसे नहीं, लेकिन चार साल में ही खरीद ली 375 करके रूपये की प्रॉपर्टी
जीएसटी रजिस्ट्रेशन से बाहर इन खुफ़िआ करोड़पतियों ने एक रूपये का भी टैक्स नहीं दिया लेकिन चार साल में इतनी प्रॉपर्टी जुटा ली जितना हम सोच भी नहीं सकते| इन्होने मेहेंगे पॉश एरिया जैसे आर्यनगर, स्वरूप नगर, बिरहाना रोड, हूलागंज, पीरोड, गुमटीमें जैसी जगहों पर ज़मीनें खरीदी हैं|
क्योंकि हम सब की धारणा हमेशा से यही रहती है की ये ठेला लगता है, इसीसलिए गरीब होगा, इसी चीज़ का फायदा उठाकर और आयकर विभाग से बचने के लिए इन्होने चालाकी दिखाई| करोड़ों की प्रॉपर्टी खरीदी, और ज़्यादातर रिश्तेदारों के नाम से खरीदी| लेकिन पैन कार्ड और आधार कार्ड अपना लगा दिया, जिससे आयकर विभाग के सामने इनकी साड़ी सच्चाई आ गयी और इनका भांडा फूट गया|