माना जाता है कि किसी इमारत की छत को सफ़ेद रंग से पेंट करने से सूरज की गर्मी उससे टकराकर वापस लौट जाती है, जो यह तापमान को कम करने का सबसे सटीक उपाय है. लेकिन ऐसा करना कितना कारगर है और इसके नकारात्मक पहलू क्या हैं? हाल ही में एक इंटरव्यू में संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्व महासचिव बान की मून ने सुझाव दिया कि यह कमी 30 डिग्री जितनी हो सकती है, और घर के अंदर के तापमान में इससे 7 डिग्री तक की गिरावट हो सकती है. तो आखिर ये आंकड़े आये कहां से और क्या रिसर्च भी इसका समर्थन करते हैं. अहमदाबाद प्रोजेक्ट का निरीक्षण करने के बाद अमरीका स्थित नेचुरल रिसॉर्सेज डिफेंस काउंसिल की अंजलि जायसवाल कहती हैं, “यह सेटिंग पर निर्भर करता है, लेकिन पारंपरिक घरों की तुलना में रूफ़ कूलिंग घर के अंदर का तापमान को 2 से 5 डिग्री तक कम करने में मदद करती है.
क्या है बात की सच्चाई?
और यह बान की मून के आंकड़े से थोड़ा कम है, फिर भी यह महत्वपूर्ण है.दक्षिण भारत के हैदराबाद में एक और पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है जिसमें रूफ़ कूलिंग मेम्ब्रेन (शीट) का इस्तेमाल किया गया है, इसमें घर के अंदर के तापमान में 2 डिग्री तक की कमी पायी गयी. जहां तक सवाल बान की मून के 30 डिग्री तक तापमान में गिरावट का दावा है, गुजरात में चल रहा पायलट प्रोजेक्ट में इसका जवाब नहीं मिलता, लेकिन इसके लिए हम कैलिफोर्निया के बर्कले लैब में चल रही एक स्टडी के निष्कर्षों को देख सकते हैं.
किया गया प्रेक्षण!
मोहित अग्रवाल (उद्यमी विनायक इंडस्ट्रीज, गाजियाबाद) का कहना है कि इस पेंट को छत और दीवारों पर लगाने से पंखा गर्म हवा फेंकना कम कर देता है। तापमान भी पांच से 10 डिग्री सेल्सियस तक होता है और बिजली का बिल भी कम होता है। इससेबिल्डिंग के रखरखाव में कम खर्च होता है। ट्रेन के लोको में भी इसका उपयोग किया गया है। गर्मी में इसकी बेहद मांग है।इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आइआइए) की नोएडा स्थित बिजनेस मीट के साथ प्रदर्शनी में कंपनी ने उत्पाद को प्रदर्शित किया था, जिसमें बल्ब लगाकर चेंबर में गर्मी पैदा की। वहीं, इसमें एक साधारण पत्थर और एक पेंट लगे पत्थर का तापमान दर्शाया। साधारण पत्थर में 44 डिग्री तापमान था। वहीं, पेंट लगे पत्थर का तापमान 33 डिग्री सेल्सियस था।