जानिये कैसे इस 71 वर्षीय बुज़ुर्ग महिला ने साबित किया की पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती

सही कहते हैं की पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती, अगर मन में इच्छा हो और कुछ कर दिखने का दृढ़ संकल्प तो आप किसी भी उम्र में किसी भी क्षेत्र में अपना नाम कर सकते हैं, और दूसरों के लिए एक उदाहरण बन सकते हैं| ऐसी ही कहानी है इन 71 वर्षीय बुज़ुर्ग महिला की, जिन्होंने अपने पढ़ाई की जज़्बे को कभी कम नहीं होने दिया| और बाकियों के लिए उदाहरण बन गयी की मन में संकल्प पक्का हो तो उम्र भी आड़े नहीं आती है।

71 वर्षीय बुज़ुर्ग महिला ने रचा इतिहास और साबित किया नहीं होती पढ़ाई की कोई उम्र

71 वर्षीय ऊषा श्रीवास्तव ने इस उम्र में ऑल इंडिया बार परीक्षा पास कर सबके सामने एक उदाहरण रखा है| आपको बता दें की ऊषा श्रीवास्तव स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रामकिशोर श्रीवास्तव की बहू हैं। उनके पिता कौशल श्रीवास्तव भी एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे।

उनसे बातचीत में पता चला की ऊषा श्रीवास्तव का विवाह वर्ष 1969 में हुआ था| उनके पति डॉ. विजय कुमार श्रीवास्तव एक पशु चिकित्सक थे| बाद में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और काश्तकारी में जुट गए| ऊषा ने भी उनके साथ खेतीबाड़ी में हाथ बंटाना शुरू किया| वर्ष 1972 में ऊषा ने रुद्रपुर डिग्री कॉलेज से एमए किया, और इसके बाद 1983 में नेचुरोपैथी में डिप्लोमा| ऊषा की चार बेटियां हैं और चारों ही सफल हैं| यह उनकी माँ ऊषा का ही पढ़ाई के प्रति रुझान था, जिसने चारों बेटियों को सफलता के मुकाम में पहुंचा दिया|

कैसे शुरू की ऊषा ने लॉ की पढ़ाई

वर्ष 2013 में जब ऊषा की छोटी बेटी ने लॉ की पढ़ाई शुरू की तो ऊषा ने भी मन में ठान लिया की वह भी यह पढ़ाई करेंगी, और जैसे की वह पड़ने में काफी रूचि रखती थीं, तो उन्होंने सफलता पूर्वक लॉ की पढ़ाई पूरी की। लेकिन पति की मौत के बाद ऊषा बिलकुल टूट गयी थीं| फिर कुछ हिम्मत जुटा कर खुद को संभाला और ऑल इंडिया बार परीक्षा का फॉर्म भरा। उन्होंने इस परीक्षा को पहली बार में ही पास कर लिया है।

ऊषा की इस उपलब्धि पर चारों बेटियां खुश हैं। वह बताती हैं की उनकी माँ ऊषा दिनभर खेतों में काम करने के बाद वह रात को दो घंटे पढ़ाई करतीं थीं। यह ऊषा का दृढ़ संकल्प और पढ़ाई के प्रति प्यार ही है, जिसने उन्हें सफलता दिलाई और दूसरों के लिए उदाहरण बनी|